विधवा मेकअप क्यों नहीं कर सकतीं? सुप्रीम कोर्ट ने खोली 39 साल पुराने केस की फाइल और HC के टिप्पणियां पढ़कर रहा गया है हैरान
हाल ही में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक 39 साल पुराने मामले की फाइल को फिर से खोलते हुए एक महत्वपूर्ण चर्चा की है, जिसमें विधवाओं के मेकअप करने पर प्रतिबंध का मुद्दा उठाया गया है। इस मामले ने न केवल कानूनी दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी काफी चर्चा पैदा की है।
मामला क्या है?
- विधवा के मेकअप पर प्रतिबंध:
- यह मामला उस समय से जुड़ा है जब एक विधवा महिला ने मेकअप करने पर रोक लगाने के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की थी। यह मान्यता थी कि विधवाएं मेकअप नहीं कर सकतीं, जो कि सामाजिक प्रथाओं और मान्यताओं पर आधारित थी।
- उच्च न्यायालय की टिप्पणियां:
- उच्च न्यायालय ने इस मामले में कुछ टिप्पणी की थी जो अब सुप्रीम कोर्ट के सामने आई। कोर्ट ने पाया कि यह विचारधारा न केवल पुरानी है बल्कि महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन भी करती है।
सुप्रीम कोर्ट की स्थिति
- महिलाओं के अधिकार:
- सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह विधवाओं का मौलिक अधिकार है कि वे अपनी इच्छानुसार जीवन जी सकें। उनका मेकअप करना या न करना व्यक्तिगत पसंद पर निर्भर करता है, और इस पर कोई सामाजिक प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता।
- सामाजिक प्रथाओं की समीक्षा:
- कोर्ट ने कहा कि पुरानी प्रथाओं और मान्यताओं को आधुनिक संदर्भ में देखा जाना चाहिए। महिलाओं को उनके जीवन के निर्णय लेने का अधिकार है, और किसी भी सामाजिक धारणा के कारण उन्हें प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता।