रूस से तेल खरीदने पर हरदीप पुरी का बयान: भारत ने वैश्विक ऊर्जा संकट को टाला
“हरदीप पुरी का दावा: रूस से तेल न खरीदते तो तेल कीमतें पहुंचतीं $200 प्रति बैरल”
केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हाल ही में एक बड़ा बयान दिया, जिसमें उन्होंने रूस के तेल पर भारत द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को लेकर स्पष्टीकरण दिया। पुरी ने कहा कि रूस से तेल खरीदने का कदम भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए फायदेमंद साबित हुआ है। उनका कहना था कि यदि भारत ने रूस से तेल नहीं खरीदा होता, तो वैश्विक तेल कीमतें 200 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती थीं, जिससे विश्वभर की अर्थव्यवस्था को गंभीर संकट का सामना करना पड़ता।
रूस से तेल खरीदने का महत्व
पुरी ने अपने बयान में कहा कि भारत ने रूस से तेल खरीदकर पूरी दुनिया को संकट से बचाया। वैश्विक तेल बाजार में रूस के तेल की कमी होने पर कीमतों में भारी उछाल आता, जिससे न केवल भारत, बल्कि दुनिया भर के देशों को महंगे तेल की समस्या का सामना करना पड़ता। भारत ने समझदारी से काम लिया और रूस से तेल खरीदने का निर्णय लिया, जो वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति को स्थिर रखने में सहायक साबित हुआ।
वैश्विक तेल संकट और भारत की भूमिका
- ऊर्जा संकट का समाधान: भारत की तरफ से रूस से तेल की निरंतर खरीदारी वैश्विक ऊर्जा संकट के समय एक महत्वपूर्ण कदम था। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में किसी भी तरह की विघटन से तेल की कीमतें अस्थिर हो सकती थीं, और भारत का कदम वैश्विक आपूर्ति को संतुलित करने में सहायक साबित हुआ।
- भारत का कूटनीतिक दृष्टिकोण: पुरी ने यह भी बताया कि भारत ने वैश्विक कूटनीतिक स्थिति को समझते हुए ही रूस से तेल खरीदने का फैसला लिया। भारत के लिए यह कदम देश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ वैश्विक आर्थिक स्थिरता में भी योगदान दे रहा था।
पेट्रोलियम की कीमतों में स्थिरता
पुरी के अनुसार, भारत की पहल से पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में स्थिरता बनी रही। यदि रूस से तेल की आपूर्ति में कमी आती, तो वैश्विक बाजार में तेल की कीमतों में और वृद्धि हो सकती थी, जो पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर संकट होता।