डिजिटल युग में यूपीआई का महत्व और चुनौतियां
“यूपीआई उपयोगकर्ताओं के लिए साइबर सुरक्षा के जरूरी उपाय”
हाल के घटनाक्रमों में कई प्रकार के साइबर अपराध सामने आए हैं, जैसे डिजिटल अरेस्ट और नकली सरकारी ऐप्स का उपयोग, इस बारे में और अधिक जानते है आज़मगढ़ जनपद में कार्यरत ओम प्रकाश जायसवाल (साइबर क्राइम विशेषज्ञ ) द्वारा की कैसे साइबर फ्राड से बचा जाए “
डिजिटल युग में साइबर अपराध सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बन चुका है। ऑनलाइन ठगी, फर्जी ऐप्स, और व्यक्तिगत डेटा की चोरी के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। पुलिस और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, ठग नए-नए तरीकों से लोगों को निशाना बना रहे हैं। “डिजिटल अरेस्ट,” फर्जी सरकारी ऐप्स, और फिशिंग जैसे तरीकों के माध्यम से ठग लोगों को आर्थिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचा रहे हैं .
साइबर अपराध से निपटने के लिए सुरक्षा उपायों और डिजिटल जागरूकता पर बल दिया जा रहा है। सरकारी एजेंसियां और सुरक्षा विशेषज्ञ लगातार जनता को सतर्क रहने और सतर्कता बरतने की सलाह दे रहे हैं। डिजिटल सुरक्षा और साइबर हेल्पलाइनों का उपयोग इन अपराधों को रोकने में मददगार साबित हो सकता है।
नए साइबर अपराध
- डिजिटल अरेस्ट: ठग खुद को पुलिस अधिकारी बताकर लोगों को मनी लॉन्ड्रिंग जैसे झूठे मामलों में फंसाने की धमकी देते हैं। वे वीडियो कॉल पर बैठने को कहते हैं और इस दौरान बैंक खाते और निजी जानकारियां चुरा लेते हैं। यह तरीका बुजुर्गों और कम जागरूक लोगों को खासतौर पर निशाना बनाता है
- फर्जी ऐप्स और धोखाधड़ी: हाल में पीएम किसान योजना के नाम पर एक नकली ऐप के जरिए लोगों की संवेदनशील जानकारी चोरी की गई। ऐसे ऐप्स डाउनलोड करने से बचना चाहिए और केवल आधिकारिक स्रोतों से जानकारी लेनी चाहिए
डिजिटल अरेस्ट: साइबर अपराध का नया तरीका
हाल के दिनों में “डिजिटल अरेस्ट” साइबर ठगी का नया और खतरनाक तरीका बनकर उभरा है। इस अपराध में ठग खुद को पुलिस या किसी अन्य सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताकर लोगों को डराते हैं। यह उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर मामलों में फंसाने की धमकी देते हैं और उनकी गोपनीय जानकारी चुरा लेते हैं।
फर्जी ऐप्स और धोखाधड़ी से बचाव: डिजिटल सुरक्षा पर विशेष रिपोर्ट
आजकल साइबर अपराधी फर्जी ऐप्स और तकनीकी धोखाधड़ी के माध्यम से लोगों को निशाना बना रहे हैं। हाल ही में पीएम किसान योजना के नाम पर एक नकली ऐप का इस्तेमाल करके संवेदनशील जानकारी चुराने और वित्तीय ठगी के मामले सामने आए हैं।
धोखाधड़ी की विधि:
- फर्जी ऐप्स: अपराधी नकली ऐप्स बनाते हैं जो सरकारी योजनाओं या सेवाओं से मिलते-जुलते होते हैं। जैसे, पीएम किसान योजना के नाम से नकली ऐप डाउनलोड करने पर निजी जानकारी और बैंकिंग डिटेल्स चुरा ली जाती हैं
- फिशिंग वेबसाइट्स: ठग नकली वेबसाइट्स बनाते हैं जो असली साइट्स की नकल होती हैं।
- संदेश और ईमेल: ठगी के लिए “आपकी लॉटरी जीती” या “सरकारी योजना का लाभ लेने” जैसे संदेश भेजे जाते हैं।
बचाव के उपाय:
- आधिकारिक स्रोत पर भरोसा करें:
- केवल सरकारी वेबसाइट या प्रमाणित ऐप स्टोर से ऐप्स डाउनलोड करें।
- किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से बचें।
- सावधानीपूर्वक जानकारी दें:
- बैंक खाते, OTP, और व्यक्तिगत जानकारी को निजी रखें।
- अज्ञात ईमेल या संदेशों में मांगी गई जानकारी न दें।
- साइबर जागरूकता:
- अपने फोन और कंप्यूटर में एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर का उपयोग करें।
- फिशिंग से बचने के लिए URL को ध्यान से जांचें।
- शिकायत दर्ज करें:
- साइबर धोखाधड़ी की शिकायत सरकार की हेल्पलाइन 1930 पर करें या cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें।
हालिया मामले:
- दिल्ली: साइबर ठगों ने पीएम किसान योजना का नकली ऐप बनाकर सैकड़ों लोगों को ठगा।
- इंदौर: एक गिरोह ने फर्जी वेबसाइट्स और ऐप्स के जरिए 10 लाख रुपये से अधिक की ठगी की
कार्यप्रणाली:
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- ठग फोन या वीडियो कॉल पर संपर्क करते हैं।
- वे व्यक्ति को सरकारी जांच का डर दिखाकर कैमरे के सामने घंटों बैठने को मजबूर करते हैं।
- इस दौरान, ठग बैंक खाते की डिटेल, पासवर्ड, और अन्य निजी जानकारी चोरी कर लेते हैं
हालिया मामले:
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- इंदौर: एक गिरोह ने लोगों को “डिजिटल अरेस्ट” के बहाने 6.3 करोड़ रुपये ठग लिए। पुलिस ने इस गिरोह के दो सदस्यों को गुजरात से गिरफ्तार किया है
- दिल्ली और अन्य शहरों: बुजुर्ग और कम तकनीकी-साक्षर लोग खास तौर पर इसका निशाना बने हैं।
बचाव के उपाय:
- सावधानी बरतें: पुलिस या बैंक कभी फोन पर व्यक्तिगत जानकारी नहीं मांगते।
- जागरूक रहें: ऐसे कॉल्स पर तुरंत पुलिस को सूचित करें।
- साइबर हेल्पलाइन: भारत सरकार द्वारा 1930 या अन्य हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराएं।
- डिजिटल सुरक्षा: फिशिंग और धोखाधड़ी से बचने के लिए दो-चरणीय सुरक्षा और मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें
- किसी अज्ञात कॉल या ईमेल में व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें।
- बैंक या पुलिस से संबंधित कोई कॉल आए, तो पहले उसकी सत्यता जांचें।
- मजबूत पासवर्ड और एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर का उपयोग करें।
- ऑनलाइन लेनदेन में सतर्कता बरतें और केवल आधिकारिक वेबसाइट्स का उपयोग करें।
साइबर अपराध से बचने के लिए सतर्क रहना और जागरूकता जरूरी है। यूपीआई पिन, ओटीपी और खाता नंबर जैसी महत्वपूर्ण जानकारियों को गोपनीय रखना अनिवार्य है।असुरक्षित वेबसाइट्स और अनजान लिंक्स से बचकर ही डिजिटल लेन-देन को सुरक्षित बनाया जा सकता है।
यूपीआई पिन को कभी भी किसी के साथ साझा न करें
यूपीआई पिन को कभी भी किसी के साथ साझा न करें, चाहे कोई कितना भी भरोसेमंद क्यों न हो। उन्होंने यह भी बताया कि यूपीआई का उपयोग करते समय सतर्क रहना बेहद जरूरी है। उपयोगकर्ता को यूपीआई के नियमों और शर्तों को ध्यान से पढ़ना चाहिए।
साथ ही सुरक्षित नेटवर्क के माध्यम से ही लेन-देन करना चाहिए। यूपीआई ने भुगतान प्रणाली में क्रांति ला दी है। लेकिन इसे सुरक्षित रखना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है। जागरूकता के जरिए हम साइबर अपराधों को रोक सकते हैं।
- व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा, यूपीआई पिन और ओटीपी गोपनीय रखें।
- सुरक्षित नेटवर्क का उपयोग, विश्वसनीय वाई-फाई या मोबाइल डेटा का उपयोग करें।
- लेन-देन की जांच करें, हर ट्रांजेक्शन को क्रास-चेक करें।
- ऐप को अपडेट रखें, यूपीआई ऐप को समय-समय पर अपडेट करें।
- खाते की निगरानी करें, किसी भी संदिग्ध गतिविधि की रिपोर्ट तुरंत करें।
यूपीआई उपयोग में मददगार टिप्स
सावधानी महत्वव्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा यूपीआई पिन और ओटीपी साझा न करें।लेन-देन की जांच हर भुगतान को वेरिफाई करें।सुरक्षित नेटवर्क का उपयोग सार्वजनिक नेटवर्क से बचें।ऐप को अपडेट रखें नवीनतम सुरक्षा फीचर्स पाएं।