कांगड़ा और हमीरपुर में सबसे ज्यादा एचआईवी मरीज: आंकड़े चिंताजनक
“नशा और असुरक्षित संबंधों से बढ़ रहा एचआईवी का खतरा”
“हिमाचल में एचआईवी/एड्स के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। राज्य में अब तक इनकी संख्या 5897 पहुंच गई है। अधिकांश मामले कांगड़ा, हमीरपुर, मंडी और ऊना से सामने आए हैं। एड्स कंट्रोल सोसायटी का दावा है कि इस बीमारी का प्रसार राष्ट्रीय औसत से कम है। लेकिन नशे की लत और असुरक्षित यौन संबंधों के कारण यह बढ़ता जा रहा है”
हिमाचल प्रदेश राज्य एड्स कंट्रोल सोसायटी के आंकड़ों के अनुसार 31 अक्तूबर 2024 तक एचआईवी (ह्यूमन इन्फेक्शन वायरस) से 5897 लोग प्रभावित हैं। ये वे लोग हैं जिनको एआरटी (एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी) पर रखा गया है।
हिमाचल प्रदेश में एड्स का आकड़ा –
जिला | संख्या |
बिलासपुर | 442 |
चंबा | 167 |
हमीरपुर | 1035 |
कांगड़ा | 1576 |
किन्नौर | 24 |
कुल्लू | 236 |
लाहौल एंड स्पीति | 10 |
मंडी | 749 |
शिमला | 307 |
सिरमौर | 127 |
सोलन | 291 |
ऊना | 679 |
नॉन हिमाचली | 254 |
इनमें 3187 (54 फीसदी) पुरुष, 2705 (45.8 फीसदी) महिलाएं और 5 ट्रांसजेंडर (टीजी) हैं। आयु वर्ग के अनुसार 0 से 15 साल के 5.1 फीसदी, 16 से 30 साल के 21.9 फीसदी, 31 से 45 साल के 49.4 फीसदी, 46 से 60 वर्ष के 21.2 फीसदी और 60 वर्ष से अधिक आयु के 2.4 फीसदी लोग संक्रमित हैं।
आईजीएमसी के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के सहायक प्रो. डॉ. अमित सचदेवा ने बताया कि एचआईवी का प्रसार मुख्य रूप से असुरक्षित यौन संबंधों, संक्रमित सुइयों और रक्त के माध्यम से होता है। हालांकि हाथ मिलाने, गले लगाने, या भोजन साझा करने से यह बीमारी नहीं फैलती है। लेकिन प्रदेश में नशे के मामलों में वृद्धि ने सिरिंज के साझा उपयोग को बढ़ावा दिया है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ा है।
उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं के लिए समय पर एचआईवी जांच से मां से बच्चे में संक्रमण के प्रसार को रोका जा सकता है। एचआईवी एक ऐसी बीमारी है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को धीरे-धीरे कमजोर करती है। इसका पहला चरण अक्सर पहचान में नहीं आता। बीमारी के लक्षण सामान्य बुखार, गले में खराश, और थकावट जैसे होते हैं।
इन लक्षणों को हल्की बीमारी समझकर नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। जब तक संक्रमण का पता चलता है, तब तक स्थिति गंभीर हो सकती है। एचआईवी/एड्स के प्रसार को रोकने के लिए सबसे पहला कदम जागरूकता है।
कुछ प्रभावी उपाय जैसे कि सुरक्षित यौन संबंध बनाएं। सिरिंज का साझा उपयोग नहीं करना चाहिए। ब्लड ट्रांसफ्यूजन में सावधानी बरतनी चाहिए। राज्य सरकार को नशा मुक्ति कार्यक्रमों के साथ एचआईवी जागरूकता अभियानों को जोड़ने की आवश्यकता है।