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बैंकों की नई ब्याज दरें जारी: जानिए क्या हुआ बदलाव

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भूमिका

बैंकिंग सेक्टर में ब्याज दरों में होने वाले बदलाव आम नागरिकों, निवेशकों और व्यापारियों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। हाल ही में विभिन्न सरकारी और निजी बैंकों ने अपनी नई ब्याज दरें जारी की हैं, जिससे होम लोन, पर्सनल लोन, फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) और सेविंग अकाउंट पर असर पड़ सकता है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद इन दरों में बदलाव किए गए हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि कौन-कौन से बैंक अपनी ब्याज दरों में बदलाव कर रहे हैं और इसका आम लोगों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

आरबीआई की मौद्रिक नीति और ब्याज दरें

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) समय-समय पर मौद्रिक नीति की समीक्षा करता है और रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) और स्टेट्यूटरी लिक्विडिटी रेश्यो (SLR) जैसी दरों में बदलाव करता है। इन नीतियों का सीधा असर बैंकों की ब्याज दरों पर पड़ता है।

आरबीआई द्वारा घोषित नई प्रमुख दरें:

  • रेपो रेट: 6.50%
  • रिवर्स रेपो रेट: 3.35%
  • CRR: 4.50%
  • SLR: 18.00%

रेपो रेट में बदलाव होने से बैंकों द्वारा दिए जाने वाले लोन और डिपॉजिट पर ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव आता है।

होम लोन पर ब्याज दरों में बदलाव

ब्याज दरों में हुए बदलाव से होम लोन लेने वालों को सीधा असर पड़ सकता है। विभिन्न बैंकों ने अपने होम लोन की ब्याज दरों को संशोधित किया है।

बैंक का नामनई होम लोन ब्याज दर (%)
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI)8.40% – 9.50%
एचडीएफसी बैंक (HDFC)8.60% – 9.75%
आईसीआईसीआई बैंक (ICICI)8.50% – 9.60%
बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB)8.30% – 9.40%
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया8.35% – 9.30%

यदि रेपो रेट में वृद्धि होती है, तो होम लोन की ब्याज दरें भी बढ़ जाती हैं, जिससे मासिक EMI में बढ़ोतरी हो सकती है।

पर्सनल लोन की नई ब्याज दरें

पर्सनल लोन की ब्याज दरें आमतौर पर फिक्स्ड होती हैं, लेकिन बैंक और आर्थिक परिस्थितियों के आधार पर इनमें बदलाव हो सकता है।

बैंक का नामनई पर्सनल लोन ब्याज दर (%)
एसबीआई10.50% – 13.50%
एचडीएफसी बैंक10.75% – 14.00%
आईसीआईसीआई बैंक10.99% – 15.50%
एक्सिस बैंक11.00% – 14.75%
बैंक ऑफ इंडिया10.25% – 13.75%

जो लोग पर्सनल लोन लेने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे विभिन्न बैंकों की दरों की तुलना करें।

फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की ब्याज दरों में वृद्धि

ब्याज दरों में बदलाव से सबसे ज्यादा असर फिक्स्ड डिपॉजिट धारकों पर पड़ता है। एफडी पर मिलने वाली ब्याज दरें बढ़ने से निवेशकों को अधिक लाभ मिल सकता है।

बैंक का नामनई एफडी ब्याज दर (5 साल की अवधि)
एसबीआई6.50%
एचडीएफसी बैंक7.00%
आईसीआईसीआई बैंक7.10%
पीएनबी6.75%
बैंक ऑफ बड़ौदा7.20%

वरिष्ठ नागरिकों को इन ब्याज दरों पर अतिरिक्त 0.50% तक का लाभ मिल सकता है।

सेविंग अकाउंट पर ब्याज दरें

बैंक सेविंग अकाउंट पर भी अपनी ब्याज दरों में बदलाव कर रहे हैं। हाल ही में कुछ प्रमुख बैंकों ने सेविंग अकाउंट पर मिलने वाली ब्याज दरों में मामूली बढ़ोतरी की है।

बैंक का नामनई सेविंग अकाउंट ब्याज दर (%)
एसबीआई2.70%
एचडीएफसी बैंक3.00%
आईसीआईसीआई बैंक3.00%
कोटक महिंद्रा बैंक3.50% – 4.00%
इंडसइंड बैंक4.00% – 6.00%

सेविंग अकाउंट पर ब्याज दरें आमतौर पर कम होती हैं, लेकिन कुछ डिजिटल और प्राइवेट बैंक अधिक ब्याज दरें दे रहे हैं।

नई ब्याज दरों का आम जनता पर असर

ब्याज दरों में बदलाव से आम जनता पर विभिन्न प्रकार के प्रभाव पड़ सकते हैं:

  1. उधार लेने वालों पर असर:
    • यदि ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो होम लोन और पर्सनल लोन महंगे हो जाते हैं, जिससे मासिक EMI बढ़ सकती है।
    • लोन की ब्याज दरें कम होने से लोगों को कम EMI पर लोन मिल सकता है।
  2. निवेशकों पर प्रभाव:
    • एफडी पर ब्याज दरें बढ़ने से निवेशकों को अधिक रिटर्न मिलेगा।
    • सेविंग अकाउंट पर ब्याज दरें बढ़ने से भी बचत पर थोड़ा अधिक ब्याज मिलेगा।
  3. रियल एस्टेट सेक्टर पर असर:
    • होम लोन की ब्याज दरें कम होने से लोग अधिक घर खरीदने के लिए प्रेरित होंगे, जिससे रियल एस्टेट सेक्टर में तेजी आ सकती है।
    • ब्याज दरें बढ़ने से घर खरीदने की लागत बढ़ सकती है।
  4. बाजार और महंगाई पर प्रभाव:
    • यदि ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो महंगाई को नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन उधार लेना महंगा हो सकता है।
    • कम ब्याज दरों से लोन की मांग बढ़ेगी, जिससे बाजार में पैसे की उपलब्धता अधिक हो जाएगी।

निष्कर्ष

बैंकों द्वारा जारी नई ब्याज दरों का सीधा असर आम जनता, निवेशकों और उधार लेने वालों पर पड़ता है। रिजर्व बैंक की नीतियों के अनुसार, ब्याज दरों में समय-समय पर बदलाव होता रहता है। यदि आप लोन लेने या निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो विभिन्न बैंकों की ब्याज दरों की तुलना करना आवश्यक है।

ब्याज दरों में हुए बदलाव को ध्यान में रखते हुए सही वित्तीय निर्णय लेना ही समझदारी होगी।