महाकुंभ 2025: श्रद्धालुओं के लिए अत्याधुनिक चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध
“महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए बेहतरीन चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार, आम नागरिकों से लेकर विदेशी मेहमानों तक के लिए उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधाओं की व्यवस्था की गई है।“
अब तक 7 लाख से अधिक श्रद्धालुओं का हुआ इलाज
अब तक महाकुंभ में 7 लाख से अधिक श्रद्धालुओं का इलाज किया जा चुका है। इस दौरान कनाडा, जर्मनी, रूस, एम्स दिल्ली और आईएमएस बीएचयू के विशेषज्ञ चिकित्सकों की सहायता से श्रद्धालुओं को बेहतरीन चिकित्सा सुविधा दी जा रही है।
🔹 23 एलोपैथिक अस्पतालों में 4.5 लाख से अधिक मरीजों का इलाज किया गया।
🔹 3.71 लाख श्रद्धालुओं की पैथोलॉजी जांच पूरी हुई।
🔹 20 आयुष अस्पतालों में 2.18 लाख श्रद्धालुओं को लाभ मिला।
आयुर्वेद और होम्योपैथी से भी मिल रहा लाभ
आधुनिक चिकित्सा के साथ-साथ आयुर्वेद और होम्योपैथी के माध्यम से भी श्रद्धालुओं का इलाज किया जा रहा है।
🔸 20 आयुष अस्पताल 24 घंटे सेवाएं दे रहे हैं।
🔸 10 आयुर्वेदिक और 10 होम्योपैथिक अस्पताल श्रद्धालुओं की सेवा में तत्पर हैं।
🔸 एम्स आयुर्वेद, दिल्ली के विशेषज्ञ डॉक्टर, बीएचयू के डीन डॉ. वी. के. जोशी और कनाडा के डॉ. थॉमस समेत अन्य अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ इलाज कर रहे हैं।
योग और प्राकृतिक चिकित्सा का विशेष योगदान
महाकुंभ में योग और प्राकृतिक चिकित्सा श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
🔹 पंचकर्म, जड़ी-बूटी आधारित उपचार और योग चिकित्सा के माध्यम से रोगों का उपचार किया जा रहा है।
🔹 श्रद्धालुओं को आयुष डॉकेट, योगा डॉकेट, कैलेंडर और औषधीय पौधे वितरित किए जा रहे हैं।
🔹 मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान, नई दिल्ली से आई 5-5 प्रशिक्षकों की टीमें योग सत्र संचालित कर रही हैं।
🔹 जर्मनी, स्वीडन, अमेरिका, कनाडा, फ्रांस और नेपाल से आए विदेशी श्रद्धालु भारतीय चिकित्सा पद्धति की सराहना कर रहे हैं।
बच्चों के लिए विशेष आयुर्वेदिक औषधि “स्वर्ण प्राशन”
महाकुंभ में 1 से 12 वर्ष तक के बच्चों के लिए पुष्य नक्षत्र के दौरान विशेष आयुर्वेदिक औषधि “स्वर्ण प्राशन” दी जा रही है।
🔸 स्वर्ण प्राशन के लाभ:
✔ बच्चों की बुद्धि कौशल और एकाग्रता बढ़ती है।
✔ रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।
✔ शारीरिक और मानसिक विकास में सहायता मिलती है।
महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। एलोपैथी, आयुर्वेद, होम्योपैथी, योग और प्राकृतिक चिकित्सा के साथ-साथ बच्चों के लिए स्वर्ण प्राशन जैसी पारंपरिक चिकित्सा विधियों को भी अपनाया जा रहा है।