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एमएसपी की मांग पर किसानों का दिल्ली कूच, शंभू बॉर्डर पर पुलिस ने रोका

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“शंभू बॉर्डर पर किसानों का जमावड़ा, पुलिस की बैरिकेडिंग और आंसू गैस का इस्तेमाल”

क्या हैं किसानों की प्रमुख मांगें?

किसानों की प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:

  1. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी गारंटी दी जाए।
  2. बिजली बिल 2024 में संशोधन किया जाए और किसानों को सब्सिडी जारी रखी जाए।
  3. फसल के नुकसान पर मुआवजे का प्रावधान किया जाए।
  4. कर्ज माफी की योजना को लागू किया जाए।

किसानों का कहना है कि उनकी फसल की लागत लगातार बढ़ रही है, लेकिन उन्हें उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है, जिससे आर्थिक संकट गहराता जा रहा है।


शंभू बॉर्डर पर हालात

जैसे ही किसानों का जत्था पंजाब और हरियाणा से दिल्ली की ओर बढ़ा, पुलिस ने उन्हें शंभू बॉर्डर पर रोक दिया। पुलिस ने जगह-जगह बैरिकेडिंग कर दी और कड़ी सुरक्षा व्यवस्था तैनात की गई।

कई स्थानों पर पुलिस और किसानों के बीच हल्की झड़पें भी हुईं। पुलिस ने आंसू गैस के गोले और पानी की बौछार का इस्तेमाल किया, लेकिन किसानों ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन जारी रखा।

सरकार का रुख

सरकार ने किसानों से संवाद करने की अपील की है। कृषि मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि वे किसानों की मांगों पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं, लेकिन प्रदर्शनकारियों से पहले शांति बनाए रखने की अपील की गई है।

हीं, दिल्ली पुलिस ने स्पष्ट कर दिया है कि राजधानी की सुरक्षा को देखते हुए किसानों को दिल्ली में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा।


प्रदर्शन का असर

  • राष्ट्रीय राजमार्गों पर जाम की स्थिति बन गई है।
  • दिल्ली और हरियाणा की सीमाओं पर यातायात प्रभावित हुआ है।
  • आम जनता को आने-जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

किसानों की आगे की रणनीति

किसानों ने घोषणा की है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, तो वे दिल्ली की ओर मार्च जारी रखेंगे और संसद भवन तक धरना देने की योजना बना रहे हैं।

जनता की प्रतिक्रिया

जनता के बीच इस मुद्दे को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग किसानों के आंदोलन को जायज मान रहे हैं, जबकि कुछ लोग यातायात अव्यवस्था को लेकर परेशान हैं।


निष्कर्ष

किसानों का यह आंदोलन एमएसपी और अन्य कृषि सुधारों पर केंद्र सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है। दिल्ली की सीमाओं पर बढ़ते तनाव के बीच यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार और किसान नेताओं के बीच समाधान कब तक निकलता है।