पवन कल्याण की दक्षिण भारत यात्रा: सनातन धर्म संरक्षण के लिए मंदिरों में की पूजा-अर्चना
“आंध्र प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और जन सेना पार्टी के प्रमुख पवन कल्याण ने दक्षिण भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में पूजा-अर्चना करने के लिए तीन दिवसीय तीर्थयात्रा शुरू की है। इसे उनके ‘सनातन धर्म परिरक्षण’ (सनातन धर्म की रक्षा) अभियान का हिस्सा माना जा रहा है।“
तीर्थयात्रा का पहला पड़ाव: केरल में श्री अगस्त्य महर्षि मंदिर
तमिलनाडु में यात्रा के अन्य स्थल:
मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर, मदुरै
श्री परशुराम स्वामी मंदिर
अगस्त्य जीव समाधि
स्वामीमलाई मंदिर
तिरुत्तनी सुब्रमण्यम स्वामी मंदिर
स्वास्थ्य कारणों से यात्रा अवधि हुई कम
पवन कल्याण पिछले कुछ समय से वायरल बुखार और गंभीर स्पोंडिलोसिस की समस्या से जूझ रहे थे।
पहले यह यात्रा पांच दिन की योजना थी, लेकिन इसे घटाकर तीन दिन कर दिया गया।
स्वास्थ्य कारणों से वह मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की एक महत्वपूर्ण बैठक में भी शामिल नहीं हो सके।
जन सेना पार्टी के नेता नादेंदला मनोहर ने बताया कि पवन कल्याण जल्द ही सरकारी कार्यभार संभालेंगे।
‘सनातन धर्म परिरक्षण’ अभियान और पवन कल्याण की मुखरता
पवन कल्याण सनातन धर्म की सुरक्षा और संरक्षण के लिए खुलकर बोल रहे हैं।
तिरुपति मंदिर के प्रसिद्ध लड्डू में कथित मिलावट का मुद्दा उठाया।
‘प्रशस्ति दीक्षा’ प्रतिज्ञा ली और सनातन धर्म की सुरक्षा के लिए विशेष कानून की मांग की।
राष्ट्रीय स्तर पर एक धर्म-संरक्षण बोर्ड बनाने की अपील की।
पवन कल्याण का बयान:
“धर्मनिरपेक्षता का अर्थ यह होना चाहिए कि जब भी किसी धर्म को खतरा हो, तो सभी को समान अधिकार और सुरक्षा मिले।”
राजनीतिक मायने: तमिलनाडु में क्यों गरमाएगी यह यात्रा?
तमिलनाडु के उप मुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन सनातन धर्म के खुले आलोचक रहे हैं।
2023 में उन्होंने सनातन धर्म को लेकर विवादित बयान दिया था, जिससे पूरे देश में बहस छिड़ गई थी।
ऐसे में पवन कल्याण की यात्रा को तमिलनाडु में राजनीतिक घटनाक्रम से जोड़कर देखा जा रहा है।
तीर्थयात्रा से धार्मिक और राजनीतिक माहौल गरमाया।
आंध्र प्रदेश में सनातन धर्म से जुड़े मुद्दों को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में लाने की कोशिश।
तमिलनाडु में राजनीतिक समीकरणों पर पड़ सकता है असर।