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जस्टिस संजीव खन्ना बने भारत के नए मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति मुर्मू ने दिलाई शपथ

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“भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण: जस्टिस खन्ना से जुड़ी उम्मीदें”

भारत के सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना को देश के नए मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। जस्टिस खन्ना की नियुक्ति न्यायपालिका में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। वे भारतीय न्यायिक प्रणाली के एक सम्मानित और सक्षम सदस्य रहे हैं और उनकी कार्यशैली ने उन्हें एक सक्षम न्यायधीश के रूप में पहचान दिलाई है।

राष्ट्रपति मुर्मू ने दिलाई शपथ
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को राष्ट्रपति भवन में जस्टिस संजीव खन्ना को भारत के 51वें मुख्य न्यायधीश के रूप में शपथ दिलाई। इस अवसर पर भारत सरकार के अन्य उच्चतम न्यायिक अधिकारियों के अलावा कई प्रमुख राजनीतिक हस्तियां भी उपस्थित थीं। जस्टिस खन्ना का पदभार ग्रहण करना भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण है।

जस्टिस संजीव खन्ना के बारे में
जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म 1959 में दिल्ली में हुआ था। वे भारतीय न्यायपालिका के एक महत्वपूर्ण और सम्मानित न्यायधीश रहे हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय से की और फिर बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय में बतौर वकील अपने करियर की शुरुआत की। उन्होंने विभिन्न न्यायिक पदों पर काम किया और 2019 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश के रूप में नियुक्त हुए।

अपने कार्यकाल के दौरान, जस्टिस खन्ना ने कई ऐतिहासिक फैसले दिए, जिनमें उनके तर्क और न्यायिक दृष्टिकोण को सराहा गया। उन्होंने सार्वजनिक नीति, संवैधानिक मामलों और पर्यावरणीय मुद्दों पर महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं। इसके अलावा, जस्टिस खन्ना का कार्यक्षेत्र न्यायपालिका की स्वतंत्रता और कार्यकुशलता के प्रति प्रतिबद्धता के रूप में भी पहचाना जाता है।

मुख्य न्यायधीश के रूप में उम्मीदें
जस्टिस संजीव खन्ना के मुख्य न्यायधीश के रूप में कार्यभार संभालने के बाद, न्यायपालिका से यह उम्मीदें जताई जा रही हैं कि वे न्यायिक प्रणाली की पारदर्शिता को और बेहतर बनाने के लिए कदम उठाएंगे। उनकी प्राथमिकता में वकीलों और न्यायधीशों के बीच संबंधों को सशक्त करना, मामलों का तेजी से निपटारा करना और न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना होगा। इसके अलावा, वे तकनीकी प्रगति को अपनाकर कोर्ट के कामकाज में सुधार करने की दिशा में भी कार्य कर सकते हैं।