दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के कारण सरकारी दफ्तरों के समय में बदलाव
“सरकारी कार्यालयों का नया समय: ट्रैफिक और प्रदूषण कम करने की पहल”
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने गुरुवार को जानकारी देते हुए लिखा, सड़कों पर ट्रैफिक जाम और प्रदूषण को कम करने के लिए अब दिल्ली के सरकारी कार्यालय अलग अलग पर खुलेंगे। उन्होंने समय की भी जानकारी दी।
- 1. दिल्ली नगर निगम के दफ्तर सुबह 8.30 बजे से शाम पांच बजे तक खुलेंगे।
2. केंद्र सरकार के कर्मचारी सुबह 9 बजे दफ्तर जाएंगे और 5.30 बजे निकलेंगे।
3. दिल्ली सरकार के कर्मचारियों को सुबह 10 बजे जाना होगा और शाम 6.30 बजे तक काम करना होगा।
दिल्ली में औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 424 पहुंचने के साथ केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने दिल्ली-एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पांस सिस्टम (ग्रेप)-3 की पाबंदियां लागू कर दी हैं।
वहीं दिल्ली में छोटे बच्चों के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए सरकार ने 5वीं कक्षा तक के स्कूलों को बंद करने के फैसला किया है। स्कूल अगले आदेश तक बंद रहेंगे। बच्चों की ऑनलाइन कक्षाएं संचालित होंगी।
ग्रैप-3 में लोगों के लिए सीएक्यूएम की सलाह
- -कम दूरी के लिए साइकिल का करें इस्तेमाल या चलें पैदल।
-संभव होने पर कार पूलिंग का लें सहारा।
-सार्वजनिक परिवहन का करें इस्तेमाल।
-दफ्तर से इजाजत मिलने पर वर्क फ्रॉम होम पर चले जाएं।
-निर्माण कार्य समेत दूसरी प्रदूषण पैदा करने वाली गतिविधियों का रोकें।
लोगों को हो रही सांस संबंधी परेशानी
दिल्ली और एनसीआर इन दिनों वायु प्रदूषण की मार झेल रहा है। हवा में बढ़ते प्रदूषक सांस के माध्यम से शरीर में पहुंचकर कई प्रकार की बीमारियों को बढ़ाने वाले हो सकते हैं।
वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने के कारण सांस से संबंधित समस्याओं का जोखिम तो बढ़ता ही है साथ ही ये हृदय रोग, फेफड़ों में संक्रमण सहित कई अन्य प्रकार की समस्याओं को भी बढ़ाने वाली हो सकती है।
प्रदूषण के कारण प्रारंभिक स्थिति में आंखों में जलन, लालिमा और खुजली होने की समस्या सबसे ज्यादा देखी जाती रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि घर से बाहर निकलते समय प्रदूषण के स्तर की जांच जरूर कर लें।
वायु प्रदूषण गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। इसके कारण श्वसन, हृदय और मस्तिष्कवाहिकीय प्रणालियों से संबंधित कई तरह की दिक्कतों का खतरा रहता है।
इतना ही नहीं वायु प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण दीर्घकालिक बीमारियां और इससे मृत्यु का भी जोखिम हो सकता है। इसके प्रतिकूल प्रभाव विशेष रूप से कमजोर आयु वर्ग वाले लोग जैसे कि बच्चों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों में अधिक देखी जाती रही है। ऐसे लोगों को विशेष सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है।